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monika kakodia

Drama

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monika kakodia

Drama

उम्र-ए-रवां

उम्र-ए-रवां

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ये उम्र- ए- रवां है की रुकती नहीं

समय की ये दौड धीमी पड़ती नहीं।


क्या क्या रिश्वतें मैंने पेश की है

ज़िद्दी जरा भी मचलती नहीं।


रो रो के भी मैंने इसे था मनाया

बेदर्द मेरे दर्द में भी सिसकती नहीं।


वो किस्से बचपने के भी मैंने सुनाए

सख्त कैसी है, जरा भी हँसती नहीं।


लगे हैं पर इस उम्र को शायद

तभी तो ज़रा भी ठहरती नहीं।


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