उल्फ़त
उल्फ़त
माना कि हमें रिश्ते जोड़ना
नहीं आता
ये क्या कम है कि हमें
दिल तोड़ना नहीं आता
आप तो बड़े उसूल वाले
बनते हैं ना
क्यों फ़िर आपको दिल
जोड़ना नहीं आता
हज़ार ख्वाहिशों में मेरा ही
नाम शामिल नहीं
और कहते हैं हमें की मुँह
मोड़ना नहीं आता
इतना गुरूर कि हमारे नाम
से भी कतराते हो
साथ देते नहीं हर एक
बात से कतराते हो
बेवफ़ा हो ना तो बेवफ़ाई
खुलकर निभाओ
यूँ कतरा कतरा दिल हमें
जोड़ना नहीं आता
आप से बेहतर तो हमें
वह लोग लगे
गैर खुलकर मुख़ालफ़त
करते तो हैं
आपको तो सच बोलना
तक नहीं आता
जिस दिन कह दोगे दिल से
तुम्हारे रुख़सत होंगे
यो दिल बदल कर हमें
रोना नहीं आता।