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मिली साहा

Inspirational

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मिली साहा

Inspirational

उलझनें बहुत तो हैं ज़िंदगी में

उलझनें बहुत तो हैं ज़िंदगी में

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उलझनें बहुत तो हैं इस ज़िंदगी में,

पर शिकायत किसी से नहीं करती हूँ,

हर लम्हा लड़ती हूँ मैं अपने आप से ही,

पर हौसला देकर मैं खुद को संभाल लेती हूंँ।


किसी से पर भी इल्ज़ाम लगाकर,

कुछ भी तो हासिल नहीं होता है यहाँ,

टूटकर बिखरती कई बार आईने की तरह,

टुकड़ों के हर अक्श में खुद को तन्हा ही पाती हूँ।


जानती हूँ कि खुद से अंतर्द्वंद में,

हार जीत का फैसला बड़ा मुश्किल है,

थक जाती हूँ इस अंतर्द्वंद में अक्सर ही मैं,

पर हौसला और हिम्मत मैं कभी नहीं हारती हूँ।


सवाल करूंँ भी तो आखिर किससे,  

क्या जवाब वास्तव में सही मिल पाएगा,

इसलिए चलती ज़िंदगी की इस उधेड़बुन में,

कुछ जवाब अक्सर खुद ही बुन लिया करती हूँ।


बेचैन हो जाता है मन कभी-कभी,

अश्क बाहर आने को हो जाते हैं बेताब,

पर गमों की नुमाइशी न कर झूठा ही सही, 

कमजोर ना पड़ूं इसलिए थोड़ा मुस्कुरा लेती हूँ।


ज़िन्दगी की कुछ उलझनें अक्सर,

अपने साथ औरों को भी उलझा देती है,

किसी के चेहरे पर ना आए कोई भी मायूसी,

इसलिए हर उलझन मैं खुद ही सुलझा लेती हूँ।


थकाती है दौड़ाती है ज़िंदगी बहुत,

पर मैं भी तो मुश्किलों से घबराती नहीं,

यह ज़िन्दगी ले ले चाहे कैसा भी इम्तिहान,

तूफ़ानों से लड़ने को मैं खुद को तैयार रखती हूँ।



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