उड़ता तीर
उड़ता तीर


उड़ता तीर
ले लिया
जुड़ता रिश्ता
न ले सके
कुल्हाड़ी पर
पांव रखने वाले
एक जोड़ी
जूती या
चरणपादुका
न ले सके
आ बैल
मुझे मार
तो याद रखा
नाच न जाने
आंगन टेढ़ा
भूल गए
लोगों की
हाय!-हाय! तो
ले ली तुमने
लोगों की दुआएं
तुम न ले सके
जो हो रहा है
हो जाने दो
आर या पार सही
इतना तैस मत खाओ अब
उम्र तुम्हारी बीती सब
तुम एक ढेला हो
इस माटी का
इसी मती में<
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मिल जाना तुम्हें
जब आये थे
तब पाक़ साफ थे तुम
अब कितने गुनाहों का
बोझ साथ ले जाना तुम्हें
एक याद बनकर आये थे तुम
एक याद बन जाना तुम्हें
क्यों कमाते हो क़र्ज़ इतना
जो यहीं रह जाना है
उतने ही पांव पसारो तुम
जितनी तुम्हारी चादर है
जिस तरह चातक
तक़ता राह चकोर की
उस तरह बाट जोह रही
तुम्हारी हर पल नियति
अब भी समय है
इंसान बनो
कुछ और न होना
सुहायेगा कभी तुम्हें
इंसान बनकर जीना ही
एक दिन असल में
भायेगा तुम्हें...