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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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उदासी कांप रही है

उदासी कांप रही है

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उदासी कांप रही है

एक सकारात्मक सोच की आहट से

और कुछ लोग अस्त्र शस्त्र लिए

युद्ध लड़ रहे हैं

सकारात्मक सोच की आहट से

उसके आगमन को रोकने के लिए।

ये जो सकारात्मक सोच है

बिखरी बिखरी सी दिखती हुई भी

बिखरी नहीं है

उसे खोलें तो आपस का प्यार है

और कानून का राज है

इतनी भर है ये सकारात्मकता और

इतना भर है उसका विस्तार।


यकीनन अगर आप गुलाम नहीं हैं

विचारों के तो

ये सोच आप की है।

सभी प्रेम चाहते हैं

सभी कानून का राज चाहते हैं

विश्वास नहीं होता

कभी हुआ भी नहीं कि

इस सकारात्मक सोच जिसकी

आहट को रोकने के लिए

कुछ युद्ध के उन्मादी हो गये हैं

रोक सकेंगे इस

सकारात्मक सोच को,

जो हर एक इंसान की है।


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