उदास मन
उदास मन
जब मन हो उदास तो कुछ नहीं लिख पाता है
कहना चाहता कुछ और कहता कुछ और ही जाता है
ये मन भी कितना मूडी है पता नहीं लगता कभी तो
ज़ज्बात गहरे दर्शाता है और कभी-कभी यहां सन्नाटा है
हंसते हंसते रोना इसका शुरू हो जाता है तो कभी ये
घंटों उदासी भरे चेहरे पर अचानक मुस्कुराहट लाता है
मौसम अनुसार इसका हर रंग रूप समझ में आता है
बीत गए थे लम्हे जो उनकी फिर से ये याद दिलाता है
जाने क्यूँ कोई बन अपना आपको इतना हंसाता है
और दूसरे ही पल यादों से अपनी कितना रुलाता है
सच जब मन हो उदास तो कुछ नहीं लिख पाता है
कहना चाहता कुछ और कहता कुछ और ही जाता है।
