तय करो दोस्तों
तय करो दोस्तों
तय करो दोस्तों,
इस बार नेता चाहिये या बेटा चाहिए,
पार्टी चाहिये या सारथी चाहिए,
दलाल चाहिए या लाल चाहिए,
जातिवाद चाहिये या विकास चाहिए।
हर गांव को खोखला कर रखा है,
यदि एक बीड़ी सुलग जाये धोखे से,
देखते ही देखते पूरा गांव सुलग जाये,
ऐसा माहौल जातीय तय कर रखा है।
गर बरसात हो जाये,
कच्ची दीवारें गिर जायें
रोजगार की तलाश में पलायन,
और परदेश में हादसों के शिकार,
गांव से जा रहे युवा हो जायें,
त्वरित शिक्षा और इलाज को,
सड़कें चाहिए या रिश्तेदार चाहिए,
तय करिये दोस्तों आपको क्या चाहिये,
गली मोहल्ले में जातीय धर्मी पार्टी बंदी,
या देश को एक समान अधिकार चाहिए।
इसलिये इस बार नेता पार्टी नहीं चलेगा,
स्वतंत्र शिक्षित समाजसेवी प्रत्याशी होगा।
