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Vinay Sharma

Tragedy

3  

Vinay Sharma

Tragedy

तू

तू

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"तू रहती है आंखों में

खुशबू है साँसों में

लिपटी क्यों यादों से"


तू खड़ी दूर थी

रोक भी ना सका 

क्योंकि आँखे मजबूर थी।

देख तुझे सिमटी हुई किसी ओर की बाहों में

दिल जले

आँखे नम

वादे सारे तोड़ गयी

तू मोड़ गयी राहे मेरी

अकेलेपन में छोड़ गई

क्यों?


बाते जो बुरी लगी मुझे आके बोलती

नही थी वो अकड़ मेरी

बस वो मेरा अंदाज़ था ।


तू समझ नही पाई मुझे

इनसे अब दे दे तू रिहाई मुझे

क्यों आके रोज़ ऐसे तड़पाये मुझे

"तुझे जाना है तो जा"

बस दे दे अब रिहाई मुझे।


"तू रहती है आंखों में

खुशबू है साँसों में

लिपटी क्यों यादों से"!


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