तू जब बिछड़ेगी
तू जब बिछड़ेगी
तू जब बिछड़ेगी तो कयामत होगी
कम फिर भी न किसी कीमत पर मेरी चाहत होगी !
तेरी बातों को याद कर हसेंगे-रोयेंगे
संग तेरे बिता हर लम्हा मेरी ताउम्र की दौलत होगी !
रख लेना मुझे याद किसी बुरी याद की तरह
फिर भी न कभी तुझसे मुझे कोई शिकायत होगी !
लौट आने की तेरे दुआ हम रोज़ पढ़ेंगे
न जाने किस घड़ी खुदा की हम पर रहमत होगी !
तेरी तस्वीरों से सजाएंगे अपने घर की दीवारें
हर घड़ी मेरे अंजुमन में तेरी ही महक होगी !
तू जब बिछड़ेगी तो कयामत होगी
कम फिर भी न किसी कीमत पर मेरी चाहता होगी !!

