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Shabbir Shaikh Awara alfaz

Drama

2.5  

Shabbir Shaikh Awara alfaz

Drama

तू दोस्त नहीं तू मेरा भाई है

तू दोस्त नहीं तू मेरा भाई है

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क़ामयाबी नहीं थी मेरे पास तूने आस जगायी है

रुखसत - सा हो गया था दुनिया से तूने रूह लौटाई है

मेरी जीने की उम्मीद तूने लौटाई है

तू सिर्फ मेरा दोस्त नही तू मेरा भाई है।


याद है तुझे जब मेरे पापा ने मुझे डाँँटा था

तब सिर्फ़ तेरे ही घर मेरा सहारा था

जैसे तू तेरी माँँ का दुलारा है वैसे मैं भी तो दुलारा था

तुझ मैं ही तो दिखती मुझे मेरी अपनी परछाई है

तू सिर्फ़ मेरा दोस्त नही तू मेरा भाई है।


जब डर गया था उससे तब तूने मुझे बुलाया था

डरी - सी हालत में प्यार का इज़हार कराया था

कुछ नही होगा मैं हूँ ना - ऐसा बोल के साथ निभाया था

तुझ बिन मेरी ज़िंदगी कलम बिना स्याही है

तू सिर्फ़ मेरा दोस्त नही तू मेरा भाई है।


जब टूट गया था प्यार में तब तूने ही मुझे संभाला था

मुझे अकेलेपन से तूने ही तो दूर निकाला था

मेरे रोते हुए चेहरे पर तूने हँसी लौटाई है

हाँँ सच कहता हूँ !

तू सिर्फ मेरा दोस्त नही, तू मेरा भाई है

तू ही मेरा भाई हैं...।




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