तेरे प्यार की कहानी लिखता हूँ
तेरे प्यार की कहानी लिखता हूँ
सुनो ! आज तेरे प्यार की कहानी लिखता हूँ
बातें कुछ भूली बिसरी पुरानी लिखता हूँ
आज तेरे प्यार की कहानी लिखता हूँ...
तुझे सोचता हूँ तो साँसे महकती हैं मेरी
दिल के खुदा को दिल की जुबानी लिखता हूँ
हम तुम इतने जुदा एक होते भी कैसे
खुद को दीवाना तुझको सयानी लिखता हूँ...
तेरी जुल्फों की छाँव में कटती ए काश ज़िंदगी
कुछ हसरते गुमनाम कुछ जानी - पहचानी लिखता हूँ
अपने अधिकार से परे भी तेरे बारे में सोचा है कई बार
इमान से आज दिल की सारी बेईमानी लिखता हूँ...
माना "आवारा" हैं "अलफाज़" मेरे
पर जो मन में आया वो लिखता हूँ
दिलों में रहता हूँ
अंबर में दिखता हूँ
तू सोच नहीं सकती तेरे बारे में
मैं जाने क्या - क्या लिखता हूँ.....
आ ज़रा देख कभी मुझे तू रोते हुए
मेरे हर अश्क़ से मेरी ज़ुबानी लिखता हूँ
रूह तो नही है मेरे पास
पर रूहानी लिखता हूँ
आज फिर मैं तेरे प्यार की कहानी लिखता हूँ...।