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Bharti Yadav

Drama

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Bharti Yadav

Drama

जीवन में बिखराएं बस प्रेम

जीवन में बिखराएं बस प्रेम

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वासंती छटा चहुँ ओर है छाई

देखो, देखो, ऋतु बसंत है आई


प्रकृति की गोद हरी हो आई

लेने लगी तरुणाई अंगड़ाई

नव उमंग नव उल्लास बिखराई

छोड़ विषाद हर्ष है लाई

वासंती छटा चहुँ ओर है छाई

देखो, देखो, ऋतु बसंत है आई.... 


धरती की सुनहरी थाल है भाई

बहुरंगी पुष्पों की बहार जहाँ छाई

दरख़्तों पर नव कोंपलें उग आई

पतझड़ के बाद धरा अब मुस्काई

वासंती छटा चहुँ ओर है छाई

देखो, देखो, ऋतु बसंत है आई..... 


आम्र बौर ने सुगंध फैलाई

गुंजित भ्रमर लगे सुखदाई

कोयल की कुहू कुहू हिय हर्षाई

मन भरमाते कलरव करते पंछी 

वासंती छटा चहुँ ओर है छाई

देखो, देखो, ऋतु बसंत है आई.... 


ऋतु राज बसंत है ये देता संदेश

पतझड़ के बाद फिर हरा हो प्रदेश

त्यागे हम रूढ़, बैर और क्लेश 

बिखराएं जीवन में बस प्रेम ही प्रेम

वासंती छटा चहुँ ओर है छाई

देखो, देखो, ऋतु बसंत है आई.... 


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