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Sanjay Jain

Romance

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Sanjay Jain

Romance

तू अमानत है

तू अमानत है

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मचल रहा है मेरा दिल,

तुझे देखने के लिए।

करू क्या अब में,

बता दो तुम्हीं कुछ।


जिस से देख सकू,

अपनी जानेमन को।

और मचलते दिल की,

तड़प को मिटा सके।


जबसे चढ़ा है तेरा प्यार, 

मेरे दिल दिमाग पर।

कुछ भी दिखता नहीं,

तेरे सिवाये अब मुझको।


और न ही कुछ याद रहता,

बस तेरे नाम के अलावा।

इसलिए तो घायाल हूँ,

तेरी अदाओं के कारण।

 

कहानी नई लिखी जाएगी,

तेरे हुस्न की खातिर।

न बदनाम होने दूंगा तुझे,

अपनी मोहब्बत की खातिर।


सजा कर दिल मे रखूंगा,

तेरी तस्वीर को जनाम।

अमानत है तू मेरे दिल की,

तो कैसे होने दू और की।


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