तू अगर इजाज़त दे
तू अगर इजाज़त दे


तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं बयान करूँ,
कुछ गलतियां अपनी कबूल करूँ,
कुछ तेरी ख़ताओं से, तुझे रूबरू करूँ।
तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं ब्यान करूँ
वो अपने ज़ख्म तुझे दिखाऊं, या
तेरे अश्कों का, राज़ पूछ लूँ।
तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं बयान करूँ,
उस अकेले चाँद का, दर्द तुझे दिखाऊं
कुछ मेरे दिल के तूफ़ान से, रूबरू कराऊँ।
तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं बयान करूँ,
अपने ख्वाबों में, मैं तुझको सजाऊँ,
तेरे ख़यालो में, एक आशियाँ अपना बनाऊं।
तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं बयान करूँ,
अपने ख्वाबों की सैर तुझे कराऊँ,
कभी तेरे ख़्यालों को मैं जी लूँ।
तू अगर इजाज़त दे
कुछ हाल-ए-दिल मैं बयान करूँ
कुछ अपना स्वप्नलोक तुझे दिखाऊं
कुछ तेरे ख्वाबों में, भ्रमण मैं कर लूँ।