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Kishan Negi

Abstract Romance Fantasy

4.5  

Kishan Negi

Abstract Romance Fantasy

तुमसा हमसफर मिला नहीं

तुमसा हमसफर मिला नहीं

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दिल में हुआ जब तुम्हारा आना जाना

बुन रही थी मैं ख्वाबों का ताना बाना

बेबस ज़िन्दगी से भी कोई गिला नहीं

अब तक तुमसा हमसफर मिला नहीं


हसरतों के आंगन में धूप मखमली

तुम मेरे भंवरे मैं हूँ तुम्हारी मनचली 

मरुभूमि में कोई उत्तमांश खिला नहीं

अब तक तुमसा हमसफर मिला नहीं


अब तक थी बेख़बर यहाँ कोई अपना है

तुम्हारा आना हक़ीक़त या कोई सपना है 

बुनियाद का कोई पत्थर हिला नहीं

अब तक तुमसा हमसफर मिला नहीं


वक्त अपनी रफ़्तार से निकल रहा था

यौवन ठुमक-ठुमक कर फिसल रहा था

उधड़े ख्यालों को किसीने सिला नहीं

अब तक तुमसा हमसफर मिला नहीं


चुनरी में लगा दाग तो अब मिटाऊँ कैसे

तुमसे मिली है नज़र तो अब हटाऊँ कैसे

उम्मीदों का टूटा अभी सिलसिला नहीं 

अब तक तुमसा हमसफर मिला नहीं। 


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