तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
ना जाने ऐसा कोई दिन नहीं
जिस दिन तुम्हारी याद नहीं आयी हो,
ना जाने ऐसा कोई पल नहीं
जिस पल तुम्हारे लिए हम तरसे ना हो।
तुम्हें यकीन तो नहीं होगा
फिर भी ये बात सच है,
हर दिन की तरह
आज भी तुम्हारे आने का इंतज़ार है।
कितने राह देखे है तुम्हारी
पर तुम हो के
वादा करके कभी लौटे ही नहीं,
सोचते है तुम्हारी हार यादों को मिटा देंगे
ना जाने क्यूँ आज तक उसे मिटा पाए ही नहीं।
सच तो ये है
अब तुम्हारे साथ हर रिश्ते नाते टूट चुके है,
सिवाए तुम्हारे चंद पल की यादें ही
बस मेरे पास बचे है।

