हे वृक्ष !कितने महान हो तुम
हे वृक्ष !कितने महान हो तुम
हे वृक्ष!
कितने महान हो तुम,
जगह में ईश्वर के अनोखा वरदान हो तुम,
धरती माता की शृंगार हो तुम।
परम उदार परम दयालु हो तुम,
इस संसार के रक्षक हो तुम।
हे वृक्ष !
कितने महान हो तुम।
जन्म जन्म के नाता है तुमसे
परो -उपकार कोई तुमसे सीखे,
सकल जगह है तुम्हारे भरोसे
तुम बिन हर एक जीव सांस के लिए तरसे।
हे वृक्ष !
कितने महान हो तुम।
सदियों पुरानी इतिहास के तुम हो अनोखा साक्षी
तुम्हारे ही डाली में बसेरा करती है पंछी,
ये संसार में सब तुम्हें जानते हैं भले भांति,
तुम हो मनुष्य के निरंतन साथी।
हे वृक्ष !
कितने महान हो तुम।
