तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
सुनो ना तुम्हें हम चौदहवीं के चांँद कह बुलायेंगे,
तुमको हम अपनाकर अपना हमसफ़र बनाएंगे।
सुख-दुख ग़म तकलीफों को मिलकर अपनाएंगे,
तुम्हारे सारे दुखों को हम अपने सीने से लगाएंगे।
पतझड़ का मौसम बहारों में बदलकर भी दिखाएंगे,
प्यार के लिए बेदर्द ज़माने से भी लड़कर दिखाएंगे।
तुम्हें सीने से लगाकर बेइंतहां इश्क़ हम फरमाएंगे,
चाय से लेकर परांठा तक बना-बनाकर खिलाएंगे।
सुबह-सवेरे उठते ही तुमको व्यायाम करवायेंगे,
रोज-रोज शाम को हम घुमा कर तुमको लाएंगे।
हर सप्ताह सिनेमा में नई-नई फ़िल्म देखने जाएंगेे।
हफ्ते में एक-दो दिन बाहर जाकर खाना खिलाएंगे।
घर के तुम्हारे हर एक काम में हाथ बंटाते जायेंगे,
तुम्हारे अश्कों को अपनी आँखों से बहा दिखाएंगे।