STORYMIRROR

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Romance

3  

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Romance

तुम साथ देती हो

तुम साथ देती हो

1 min
172


मैं जब -जब उदास हुआ हूँ, 

तुमने मुझे संभाला है, 

एक सांत्वना देकर, 

कुछ काल्पनिक कहकर 

या कुछ निराधार बनाकर।


लेकिन 

मैं जानकर भी चुप रहता हूँ 

और तेरी बातें मान जाता हूँ 

यह सोचकर 

कि कम से कम 

मुझे सँभालने के लिए 

तुम मेरे करीब तो हो 

कुछ जतन तो करती हो 

मुझे तवज्जो देती हो 

हर समर्पण करती हो 

मेरी हर ज़िद के आगे, 

सब अर्पण करती हो,

फिर क्यों 

मैं तुमसे नाराज़ रहूं?

"उड़ता "तेरी चमकती आँखें 

मेरा सामीप्य ऊर्जा से भर देती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance