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गिरिजेश कुमार यादव

Fantasy Romance

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गिरिजेश कुमार यादव

Fantasy Romance

तुम मुस्कुराते रहना

तुम मुस्कुराते रहना

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"सुनो

तुम मुस्कुराते रहना

मेरे चले जाने के बाद भी

अपनी आँखें भीगने मत देना"


यही तो कहा था तुमने

आखिरी मुलाकात में मुझसे !


जब काँपती हुई तुम्हारी हथेली

साँस ले रही थी मेरे हाथों में

एकाएक सख़्त हो गयी थी तुम।


सब कुछ तोड़ दिया था

एक ही झटके में तुमने

मेरी साँसों से भी तुमने

माँग ली था तब

अपनी साँसों की सारी महक !


अपने खुले हुए बालों में

समेट लिये थे तुमने

तमाम बीते हुए पल !


खाली हाथ ही तो

छोड़ा था तुमने मुझे

मुझसे विदा होते वक्त !


मगर तुमको बताना चाहता हूँ मैं

रीता नहीं हूँ मैं अब भी

तुमसे, तुम्हारी यादों से।


मेरे पास पहले से भी ज्यादा

बची हुई हो तुम !

पहले से ज्यादा बड़ी हो चुकी है

तुम्हारे एहसास की दुनिया।


जिसमें तुम्हारे अलावा

किसी और के होने लिए

एक भी कोना

बाकी नहीं है अब !


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