तुम मिले फिर
तुम मिले फिर


तुम मिले फिर उसी तरह
जैसे कॉलेज का ज़माना हो,
नज़ारे मिला रहे हो वैसे ही
जैसी उम्र भर साथ निभाना हो।
मैंने भी तड़प कर आह भर ली
हाय तुम मेरा कल सुहाना हो,
आज जो आ गए हो मेरे सामने,
जैसे मुझे आज भी मनाना हो।
तुम मिले फिर उसी तरह
जैसे कॉलेज का ज़माना हो,
मैं मान भी जाऊं बेदर्दी अगर,
तुम्हें ज़िंदगी भर साथ निभाना हो,
तुम सोच रहे आज भी हसीं पल
जैसे वो भी तुम्हें आज चुराना हो।
तुम मिले फिर उसी तरह
जैसे कॉलेज का ज़माना हो,
बात कहते कहते ठहर गए फिर
जैसे लबों पर उन्स सुहाना हो,
चलो चलते है एक उम्र के लिए साथ,
जैसे जिस्म का रूह से रिश्ता पुराना हो।
तुम मिले फिर उसी तरह
जैसे कॉलेज का ज़माना हो