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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

तुम मेरी

तुम मेरी

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तुम मेरी कल्पना से भी सुंदर हो। 

तुम परी हो या हूर हो।


तू जन्नत का नज़राना हो

तुम आसमान का सितारा हो।


तुम तारीफ से परे हो

स्वर्ग से ज़मीन पर उतरे हो।


थकती नहीं जुबाँ अब ये कहते

नसीब वालों को ऐसे तोह्फे मिलते।


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