तुम मेरी हकीक़त
तुम मेरी हकीक़त
चाय पी लेना, अधूरी बातें पूरी कर लेना
सवाल था चाय में चीनी कितनी लोगे ?
ज़वाब था बस एक घुट पी कर दे देना
मेरी डूबती आंखों में चमकता सितारा
तुम किसी और देश लेकर निकाल गए।
चाय तो हाथों को गरमाइश देती रही,
निगाहों से तुम मुझे कई कहानियां करते रहे
उफ़ ज़िन्दगी में बस इसी तरह तेरे पहलू में
कुछ अदरक की कुछ इलायची की
कुछ दाल चीनी कुछ महक प्यार की
खूबसूरत बातों में मिठास बरकरार रहे
हाथों में हाथ लिए अधुरी सी बात लिए।
उसी बेंच पर, वो सूखे पत्तों की बारिश
में एहसास ने जीते रहे, मैं तुम्हे लिखती रहूं
तुम मेरी हकीक़त पढ़ते रहो।
मेरी क़लम की स्याही को अपने हाथों पर
दिलफेंक आशिक़ बन मेरा नाम
लिखते रहो, मैं तुम्हें लिखती रहूं।
चाय की चुस्कियां के साथ ख़तम
ना होने देना ये एहसास की मिठास।
वो छोटी सी मुलाक़ात अधूरी सी बात
वो अधूरी सी बात, वो अधूरी सी बात।