तुम मैं और एहसास
तुम मैं और एहसास
सुनो ना....
तुमसे
कितनी ही बातें
कितना ही कुछ कहेने की
मेरी तमाम कोशिशें रहेती है
तुम्हारे प्रति मेरा
अहेसास बताने की तमन्ना रहेती है...
पर तुम
आजकल ज्यादा ही व्यस्त रहते हो
तो कुछ कह नहीं पाती,
और
या तो यूंही कभी
कश्मकश में रहती हूं के
तुम
मेरी किसी बात का बुरा ना मान लो
और इसी दुविधा में
कितना ही कुछ बोल नहीं पाती
मानो मेरे अल्फ़ाज़ जैसे
मौन धारण कर लेते है
मुझे मुझसे ज्यादा
तुम्हारी फ़िक्र रहती है
पर
तुम नहीं जानते
तुम्हें यह नहीं पता के
तुम्हारी एक हसी
तुम्हारी आवाज़
व्यस्त होने के बावजूद
तुम्हारा मुझे याद करना
कुछ समय निकाल कर
मुझसे बातें करना
मेरे लिए ठीक
ऐसा है जैसे मानो
मुझे एक नया जीवन मिल रहा हो
मेरे लिए तुम मेरा विश्व हो
जब से हमें एक-दूसरे से
लगाव हुआं है
मेरे लिए
मेरे रोजमर्रा के जीवन चक्र
आरंभ और अंत तुम्हीं हो
मेरे लिए तुम्हारी
खुबसूरत मोहब्बत के सिवा क्या है
मैं हूं, तुम हो, और जरुरत क्या है
मेरी ज़िंदगी का हर लम्हा संवर जाये
गर जिंदगी तुम्हारे साथ
प्यार में गुज़र जाये...