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Shikha Sanghvi

Romance

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Shikha Sanghvi

Romance

तुम जब सामने होते हो

तुम जब सामने होते हो

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तुम जब सामने होते हो, मैं सबकुछ भूल जाती हूँ,

कहना सुनना एक तरफ, मैं तुझ में ही खो जाती हूँ। 


धीरे धीरे फिर जब तुम, मेरी ओर कदम बढ़ाते हो,

थम जाती है साँसे मेरी, तुम दिल को यूँ धड़काते हो। 


मैं तुझ में सिमट जाती हूँ, जब प्यार से तुम छूते हो ,

बहुत कुछ कहना होता है पर खामोश कर जाते हो। 


प्यार में हाल बेहाल करके शर्म से लाल कर जाते हो,

जब झुकाती हूँ पलकें अपनी चुम्बन सजा जाते हो। 


जब भी सजती हूँ तब काला टिका लगाना कहते हो , 

छोटी छोटी बातों पे मेरा कितना ख्याल तुम रखते हो। 


अपनी एक मुस्कान से ही तुम हर ज़ख्म मिटा देते हो ,

कभी नादानी पे हँसते हो, कभी गुस्से से समझाते हो। 


कितनी अनकही बातों को बिना कहे समझ जाते हो ,

उस एक लम्हे में जैसे ज़िन्दगी जीना सीखा जाते हो। 



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