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Shikha Sanghvi

Romance

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Shikha Sanghvi

Romance

तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो

तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो

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तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो जो कभी टूटेगा नहीं ,

तुम साथ जो मेरे हो तो किसी और चीज़ की चाहत नहीं। 


जितना भी देखु तुम्हें देखती ही रहुँ प्यास ये बुझती नहीं ,

ज़िन्दगी जीने की तड़प बढ़ती ही रहती है रूकती नहीं। 


क्यूँ तेरी ओर नाजुक़ डोर सी खींची आती हूँ जानती नहीं ,

साँसों से तेरी ये साँसे अब मिलने लगी है ये रुकेगी नहीं। 


तेरी बातें मुझे अपनी सी लगती है ये चाहत छूटेगी नहीं ,

तारीफ़ जितनी भी करुँ मैं तेरी ये अब ख़त्म होगी नहीं। 


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