तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो
तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो
तुम मेरी ज़िन्दगी का वो आइना हो जो कभी टूटेगा नहीं ,
तुम साथ जो मेरे हो तो किसी और चीज़ की चाहत नहीं।
जितना भी देखु तुम्हें देखती ही रहुँ प्यास ये बुझती नहीं ,
ज़िन्दगी जीने की तड़प बढ़ती ही रहती है रूकती नहीं।
क्यूँ तेरी ओर नाजुक़ डोर सी खींची आती हूँ जानती नहीं ,
साँसों से तेरी ये साँसे अब मिलने लगी है ये रुकेगी नहीं।
तेरी बातें मुझे अपनी सी लगती है ये चाहत छूटेगी नहीं ,
तारीफ़ जितनी भी करुँ मैं तेरी ये अब ख़त्म होगी नहीं।