तेरे हर अंदाज़ पे
तेरे हर अंदाज़ पे
तेरे हर अंदाज़ पे हज़ारों शायरी लिख गई,
तेरे हर अंदाज़ से बेपनाह प्यार करती गई।
तेरे जिस्म की खुशबु मेरी रूह में बस गई,
तेरे प्यार की छवि मेरे दिल में उतरती गई।
तेरे हर एक दर्द को मुस्कान में ढालती गई,
तेरे रास्ते में आते हर कंटक मैं उठाती गई।
तेरे दिल में अपने प्यार को ऐसे बसाती गई,
तेरे इश्क़ में सनम मैं खुद बर्बाद होती गई।
तेरे हर अंदाज़ पे हज़ारों शायरी लिख गई,
तेरे हर चुमन से मैं रंगरूप से निखरती गई।