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Shikha Sanghvi

Abstract

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Shikha Sanghvi

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दरार से आई रोशनी

दरार से आई रोशनी

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छोटे से घर के कमरे में 

बंद किये गए कमांड की

दरार से आई रोशनी 

उम्मीदों की डोर थामे 

लग गया कोशिश में 


 उलझनों से निकलकर 

ज़िन्दगी जीने के लिए 

साँसों में भर रहा है

हवा से खुशबू।

 

आशा की किरण 

एक बार फिर खड़ा होने को

निराशा के अंधकार को

ख़ुशी से भेदने को। 


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