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तुम ही तुम हो

तुम ही तुम हो

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तुम्हारे सानिध्य में

दो पल गुज़ार सकूँ

ऐसा हो नहीं पाता...

फिर भी

मैं सारा वक्त

तुम्हारे साथ ही गुज़ारती हूँ...

तुम्हारा ख्याल...

एक अहसास बन कर

लिपटा रहता है मुझसे...

तुम्हारी यादों के कम्बल में

तुम्हारे अस्तित्व कि गर्माहट में

दुबके रहना

अच्छा लगता है...

तुम्हारी खुश्बू

अलग नहीं

खुद की सी लगती है...

तुम मुझसे अलग कहाँ

या तो बस

तुम ही तुम हो...

या फिर बस

मैं ही मैं...


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