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Anita Agarwal

Others

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Anita Agarwal

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मृगतृष्णा

मृगतृष्णा

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क्यों खिंचता है मन बार-बार?
एक मधुर पीड़ा सी होती है हर बार?
यह वो धूप उजली सी है?
या मेघों की बदली सी है?

प्रेमी मन कामन दर्पण है...
ये कैसा आकर्षण है?
जो मिलन से घटता नहीं... 
मृगतृष्णा सा बुझता नहीं...

हृदय में धधकता अनल है?
या शांत करता जल है?
आलोडित कर मन चंचल...
काजल मैंहुई धवल-धवल...

मन हुआ है चन्दन-चन्दन
रेकैसा है ये बंधन...
हृदय में बसता शिव हैसत्य है?
या मृग्मारीचिका सा छल हैमृत्यु है... 


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