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Harsh Singh

Abstract

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Harsh Singh

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तुम दुआ देकर खुदा बन गए

तुम दुआ देकर खुदा बन गए

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क्या मिला ये मुझको बता , सफर में ही तुम रुकने लगे 

हो गयी क्या हमसे ऐसी खता , साथ रहकर तुम दगा कर गए 

साँसे तो चलती है मगर , ना रहा तू मेरे हमसफ़र 

जियेंगे किस ख्वाब से जो दुआ हो गयी बेअसर। 

तू जो है वो ही सही , तन्हा दिल कहीं लगता नहीं 

मेरा क्या है तू ही बता , सब तेरा ही तेरा रहा 

साँसे तो चलती है मगर , ना रहा तू मेरे हमसफ़र 

जियेंगे किस ख्वाब से जो दुआ हो गयी बेअसर। 

आँखों से शुरू वर्षा हुई , धीमी मद्धम हल्का हुई 

ख्वाबों से शुरू चर्चा हुई , नींदें अब पहले से बेहतर हुई 

साँसे तो चलती है मगर , ना रहा तू मेरे हमसफ़र 

जियेंगे किस ख्वाब से जो दुआ हो गयी बेअसर। 


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