तुम चले आना
तुम चले आना
कोई आए या न आए ,तुम चले आना प्रभु।
खोल सांकल बंद किबाड़े,तुम चले आना प्रभु।।
माना कि एकत्व में भी,स्वत्त्व का प्रकाश है।
पर तिमिर को रोशनी पर अमिट विश्वास है।।
बन कर तुम परछाइयां,धूप में भी छांव की।
तोड़ कर प्रतिबंध सारे तुम चले आना प्रभु।।
ये हिमाच्छादित श्रृंखला,वेगमय नदियां तुम्हारी।
सब दिशाएं बाहु सम, रक्षिता बन कर हमारी।।
संतृप्त कर आनंद पूरित , इस विश्व को बंधुत्व में।
देखो गा रहे सब आबसारे, तुम चले आना प्रभु।।
झांकती अपने हृदय में, दोष दूषित यह मन मेरा।
चक्षुओं की दृश्यता में, कलुषमय यह तन मेरा।।
छिद्र गहरे प्यास उत्कट, प्रभु भर न पाये आस्था।
जाऊं मैं अब किसके द्वारे, तुम चले आना प्रभु।।
कर्म शुभ हों, तुम ही प्रेरक, ज्ञान का भंडार तुम।
सत्य की पगडंडियों के , अनवरत विस्तार तुम।।
है मुझे विश्वास पूरा कर्ता,धर्ता और संहर्ता तुम।
कर्मों के फल सब हैं तुम्हारे,तुम चले आना प्रभु।।
तुम परम परिपूर्ण अकेले,हो जगत सितम्बर सदा।
रश्मियों सम प्राणी उर हर, रहें अवस्थित सर्वदा।।
' मीरा ' चिर आयुष्य पाऊँ, आपसे यही प्रार्थना।
प्रातः बेला में उदित, रवि, सकारे तुम चले आना प्रभु।।