तुम और मैं
तुम और मैं
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यह दिल एहसास चाहता है
प्यारा सा विश्वास चाहता है !
भूलकर भी न बंधना जिस्मों के खेल में
प्रेम तो रूह का मिलन खास चाहता है।
अंतर्मन को छूकर हौले से जाने वाले
मेरे गम में तुम्हीं हो आंसू बहाने वाले।
उठ रहा दिल में तूफां न जाने कैसे थमेगा
लौट आओ मेरा मन-आंगन सजाने वाले।
धड़कते दिल का हर एक राज हो तुम
मेरे गीतों मेरे नगमों का हर एक साज हो तुम !
दिवस की सांझ में मुझसे कभी तुम दूर मत जाना
शरद की "पूर्णिमा "कहती मेरा कल औ'आज हो तुम !