तुम ऐसे मिल गये मुझको
तुम ऐसे मिल गये मुझको
कहानियों सी बातें थीं, बस चंद मुलाकातें थीं
अज़नबी से हम दोनों और कुछ सवालों की सौगातें थीं
बस..... तुम ऐसे मिल गये मुझको...
वीराने से दिन थे, बेचैन सी रातें थीं
दिल को धड़काती तुमसे हर मुलाकातें थीं
बस..... तुम ऐसे मिल गये मुझको...
अपनी जादू सी आवाज़ से, जब तुम मुझसे बतियाती थीं
तुम क्या जानों, कैसे - कैसे सपने तुम दिखलाती थीं
बस..... तुम ऐसे मिल गये मुझको...
हृदय के कोरों से, अँखियों के छोरों से
जब तुम तक - तक के जाती थीं,
आते - जाते मुहब्बत की नई - नई भाषा सिखलाती थीं
बस..... तुम ऐसे मिल गये मुझको...
कुछ वादे थे, कुछ कसमें थीं और बहुत सारी रस्में थीं
ढेर सारे सपने थे, तुम होने वाले अपने थे
बस..... तुम ऐसे मिल गये मुझको...