STORYMIRROR

VINOD KR SAHU

Romance

4  

VINOD KR SAHU

Romance

तुम कैसे मिल गये मुझको

तुम कैसे मिल गये मुझको

1 min
522

सरसराती हवाओं से, मुझे छूकर जाती हुई घटाओं से 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको,


बरखा की बूंदों से, धड़कन की गूंजों से 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको,


अपने कँपकँपाते हाथोँ से, तुम्हें छूने के एहसासों 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको,


तुम्हारे क़दमों की दमक से, तुम्हारी आवाज़ की खनक से 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको,


तुम्हारी चूड़ियों की खन - खन से, तुम्हारी पायलों की छन - छन से 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको,


तुम्हारे साथ बुनते ख़्वाबों से, तुम्हारा होने के एहसासों से 

कई बार पूछा मैनें... तुम कैसे मिल गये मुझको...!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance