आशिकी
आशिकी
तुम ही जिन्दगी, तुम ही बन्दगी
तुम ही रब की दुआ हो...
मंदिर - मस्जिद मैं ना पूजूँ
तुम ही अज़ान, तुम ही ख़ुदा हो
तपती रेत -सी ये दुनिया
दिल फ़रेब -सी ये दुनिया
तुम ही बरखा की बूँदें
तुम ही सावन की घटा हो
तुम ही आशिकी,
तुम ही दिलकशी
तुम ही मुहब्बत की सदा हो
जज्ब करके अंधेरों को दिल में,
बसर कर रहा था जिंदगी अब तक
रूह की रौशनी, मुहब्बत का चराग तुम
तुम ही इश्क़ का बयां हो

