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Baman Chandra Dixit

Abstract

4.5  

Baman Chandra Dixit

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तुलसी तुलसी में फर्क क्या

तुलसी तुलसी में फर्क क्या

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370


तुलसी तुलसी में फर्क़ क्या देखे न देख पाए

एक विष्णु को प्यारी तो दूजे में राम समाए ।।


एक तुलसी जो महकती जड़से शिश पर्यन्त

दास तुलसी विराजेंगे याबत सूर्य निशिकांत।

दोनों तुलसी की महक से सारा जग महकाए।।


एक तुलसी की सेवन हरे पाप तन पीड़ा

दूजे तुलसी की श्रवण से प्रीत हनुमत वीरा।

स्वस्थ तन मन पवित्र हो जीवन धन्य हो जाए।।


एक तुलसी की काठी से माला बने जपे योगी,

एक तुलसी की दोहे से जड़ में चेतना जागी।

राम नाम बिन काम क्या दोनों ने बतलाए।।


जनम लेते ही जिनके , मुख से निकला राम 

वो है गोस्वामी तुलसी पैदाइशी संत महान।

जनमते राम बोला तो राम बोला कहलाए।।


माँ की ममता के बिना जिनका बिता बालकाल,

पिताजी की अवहेलना से हाल हुआ बेहाल

भिक्षा से शिक्षा तक सफर दास नरसिंह दिखलाए।।


पत्नी की तिरस्कार से महाकवि कालिदास

जाया माया यातना हेतु रामभक्त तुल्सी दास

लाँछित से बांछित फल प्राप्ति होती कैसे दिखलाए।।


रामचरितमानस और ग्रंथ चालीसा हनुमान 

जन मन में रहेंगे जीवित याबत युग तमाम

मनन करो मन मानस को रामधाम मिलजाए।।


जानकी मंगल पार्वती मंगल दोहावली आदि ग्रंथ

अमर कृतियां जिनकी गोस्वामी तुलसी संत

सनातनी तेरी चरणों में खड़े शीश नवाए।।


रस दोनों ही तुलसी की कर नित आस्वादन

तन स्वस्थ मन पवित्र रखेंगे प्रभु श्रीराम

स्वस्थ तन मन धन अर्जन से धर्म प्राप्त हो जाए।।


पदोदक और तुलसी दल मोक्ष करे प्रदान

तुलसी की रामचरित से होवे चित्त प्रसन्न

कण कण में बिराजे राम देखो तो दिखजाए।।


एक बासी तुलसी की आश शेष है नाथ

दया करो राम राघव जगत्पति जगन्नाथ।।

अगर हो तेरी कृपा कृपामय जन्म सफल हो जाए।।



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