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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

टूटी आवाज

टूटी आवाज

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मैं भरोसा किस पे करूँ हर शख़्स धोखेबाज़ है

मैं विश्वास किस पे करूँ हर शख़्स दगाबाज है,

आंखों से देखा हुआ भी आज सच नहीं होता है,

कोई भी शख्स बिना स्वार्थ अपना नहीं होता है,

क्या करेगा तू साखी इन पत्थरों को पास रखकर,

सबकी रूह मे तो शीशे की एक टूटी हुई आवाज है!


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