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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract Tragedy Inspirational

टूटे तराने का गीत

टूटे तराने का गीत

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टूटे हुए तरानों का गीत हूँ

टूटे हुए आईनों का मीत हूँ

सब ने मुझे ठुकरा दिया है

मैं टूटे हुए पेड़ों का बीज हूँ

ये सत्य बोलने की आदत,

करती रही है, मुझे पागल,

आग में शबनम की रीत हूँ

टूटे हुए तरानों का गीत हूँ


इन समझदारों के बीच में,

मूर्खता का बजता संगीत हूँ

इतना हैरान न हो जग वालों,

पत्थरों पे चलाता हल नीत हूँ

इस भरी दुनिया के फूलों में,

सब को चुभने वाला शूल हूँ

टूटे हुए तरानों का गीत हूँ

टूटे हुए ख्वाबों का संगीत हूँ


ये जग वाले और ये रिश्ते वाले

सब के सब है, काले मनवाले

दोस्तों का जिंदा मनमीत हूँ

में दोस्तों के लिये जीत हूँ

जग की उजली आंखों में,

तम की प्यारी सी प्रीत हूँ

टूटे हुए तरानों का गीत हूँ

अपनी ही मौज का संगीत हूँ

फिर भी फ़लक में जाऊँगा

फ़लक को चीरने वाला तीर हूँ



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