टूटा है तू
टूटा है तू
वो देख, वो खड़ा है तेरा वो पेड़ आज भी पूरे अभिमान में,
उसी की एक शाख का पत्ता था ना तू?
उसे तो आभास भी नहीं तुझ जैसी इस छोटी सी क्षति का,
गिर के धरा पर धूमिल हो गया है, जो टूटा है तू।
तू अंश था इसी पुण्य भूमि का, तुझे इसकी तनिक भी प्रतीति ना थी,
होती भी कैसे? तेरे इस जीवन में तूने बस उसी वृक्ष को ही तो देखा था,
तू अपनी अज्ञानता में विवश, ये माने था कि वही तेरा ब्रह्म है,
आज मिला है तू अपने वास्तविक परब्रह्म से, जो टूटा है तू।
उस तरू के समीप तुझसे असंख्य है, तेरा तो वो विटप अकेला था,
ना थमेगा उसका जीवन तेरे जाने से, परन्तु तू तो मिट गया मात्र टूट जाने से।
तू भले ही ना देख सका हो तेरी विधि के पार, पर उस परमेश्वर की दृष्टि तुझ पे थी सदा,
अब शनैः शनैः वह परमेश्वर तुझे स्वयं में समा लेगा, स्वयं सा बना लेगा, जो टूटा है तू।
कल कोई टूटा था, आज टूटा है तू, कल को टूटेंगे तेरे जैसे जाने कितने,
वो तेरा कल था, तू आज किसी का कल है, वो भी कल होंगे कितनों के,
ना जीवन कल रुका था, ना आज रुकेगा, ना कल रुकेगा,
ये जीवन विराम नहीं लेगा, जो तू टूटा है।
तेरे परमेश्वर से एक होने में एक बाधा है,
तेरे काल का चक्र अभी आधा है,
तुझे चाह रही उसकी जिसे उसने फल फूलों से बंधा है,
उन पक्षियों की चाहत में इस जग से छूटा है तू?
तेरे लिए कुछ और बना था,
तुझे उसने कुछ और गढ़ा था,
उत्तर क्या देगा ब्रह्म के द्वार खड़े उस यम को?
जब यम तुझ से पूछेगा क्यों टूटा है तू?
तू था उसकी एक अद्भुत रचना,
उसकी हर प्रकार से उत्तम रचना,
नियति ही थी तेरी संसार के जाल में फंसना,
उस मोह को त्याग ना सका, जो टूटा है तू।
कह देना यमराज को अपना सत्य,
याद दिलाना उन्हें उस सावित्रि का वो प्रेम तू,
कहना कि तू अपने प्रेम के लिए टूटा है,
अब पुष्प बनने की आस में इस जग से छूटा है तू।
रूप मिले तुझे उस सुमन का जो विहंगों को प्रिय है अत्यधिक,
परब्रह्म के जा समीप करना उनसे ये निवेदन तू,
तेरा प्रेम पूर्ण हो तथा तू विमुक्त हो उस अविद्या से,
तुझे निश्चित ही उनसे कहना होगा, जो टूटा है तू।
रूप देंगे ब्रह्म तुझे कोई, वो रूप ना जाने क्या होगा,
तू पात बनेगा या प्रसून, या बनेगा एक नयी डाल तू,
जब पनपेगा पुनः उस द्रुम पर तू, कुछ रूप तेरा अवश्य होगा,
होना होगा फिर पल्लवित तुझे, जो टूटा है तू।
तू पुनः बढ़ेगा, पुनः झुकेगा, पुनः थकेगा,
तू पुनः डूबेगा, पुनः उबरेगा, पुनः थिरेगा,
ब्रम्हलीन होगा जब मुक्त होगा इस बंधन से तू,
छूटना ही होगा तुझे इस इंद्रजाल से, अबकी जो टूटेगा तू।