तसव्वुर
तसव्वुर
ख्वाब अधूरे,
ख्याल अधूरे,
सोच में डूबे
ना जाने कितने एहसास अधूरे
हजारों की भीड़ में
हर बार तनहा हम अकेले
तू आ कर महसूस कर
कभी तो जज़्बात मेरे
इंतज़ार की घड़ियों से
यारी पुरानी है,
तन्हाइयों ने लिखी है,
कोरे पन्नों पर जो नहीं दिखती
वो मेरी कहानी है
आज हलचल हुयी है रूह में,
पथराई आँखों से कोई नूर गुज़रा है
सुना था बहार हर बाग़ की
कभी न कभी आती है
शायद इस बार मेरी बारी है
बहुत सारे सवालों में
एक सवाल आजकल हर जगह है
'कोई मिली क्या...'
वो तुम ही तो हो मेरे चेहरे पर
जो चमक सुनहरी है

