तस्वीरें
तस्वीरें
पुरानी पारिवारिक तस्वीरें आज भी
दे जाती हैं अपनत्व का अहसास
भिगो देती हैं हसीन पलकों को
बना देती हैं उन पलों को खास
जहां तेरा - मेरा कुछ नहीं था
जो भी था हम सबका था
हमारे पूरे परिवार का था
प्रेम, शिष्टाचार का था
न रह पाते थे एक दूजे से जुदा
परिवार को ही मानते थे खुदा
न दुख किसी का देख पाते थे
संग मिलकर हल निकालते थे
हंसी - ठिठोली करते थे
भाई - बहन यूं लड़ते थे
रूठते थे, फिर मनाते थे
सब साथ घूमने जाते थे
जो भी उत्सव होता था
माहौल रंगीन होता था
सबके काम बंटे होते थे
मगर सब एकसाथ होते थे
कोई ईर्ष्या, द्वेष नहीं था मन में
संयम, सद्भाव रहता था जन में
ना जाने कहां चला गया वो ज़माना
कभी फुर्सत मिले तो लौटकर आना
अब तो बस ऐसा लगता है
तस्वीरों में ही प्यार दिखता है
मुखौटा लगाए इंसान लगता है
भीतर से दुखी, परेशान लगता है
जीवन की अमूल्य पूंजी हैं
ये पुरानी पारिवारिक तस्वीरें
सबक है ये इस दौर के लिए
जहां मानवता का अंत दिख रहा है वीरे।