तस्वीर
तस्वीर
दिल के कैनवास पर
मैं जब भी रंग छिड़कती हूँ
हर बार जाने कैसे
लेकिन वह तस्वीर तुम होते हो।
हाल-ए-दिल में डूबा
मैं जब भी कोई ग़ज़ल कहती हूँ
उस ख़याल में भी हर बार
तुम ही तुम होते हो।
दिल के अल्फाज़
जो तुम्हें देखते ही शर्मा जाते हैं
साँस की लय
तुम्हें छू कर न जाने क्यों घबरा जाते हैं।
लोग कहते हैं तेरे प्यार में खोई हूँ मैं
मेरे हर हाल की मिसाल
हर बार कैसे तुम होते हो।
तुम्हें बस देखते रहना
आरज़ू है मेरी
तेरे दिल को मकाँ करना
दिल्लगी है मेरी।
मेरी किताब के सभी अल्फाज़ हो तुम
खुशनुमा रंग से सजा गुलिस्तान हो तुम।
घटा सावन की बूँद बन
जो छेड़ती है मुझे
भीगे एहसास में हर बार
कैसे तुम होते हो!