चाँद
चाँद
रात अकेली विरह सहेली
करवट बदल रही है
चाँद वो छलिया पूनम से मिल
आहिस्ते लुप्त हुआ है।
गजब पहेली है उसकी
वह पल-पल छलता है
जितना भी चाहो उसको
वह रंग बदल लेता है।
आगे पीछे बहुत गोपियाँ
उसके नाच रही हैं
टिम-टिम करते नजरों से
दिल उसका खींच रही हैं।
और मगन वह वृहत व्योम में
अद्भुत रास रचाता
यौवन चढ़ाता देख निशि का
गीत प्रेम के गाता।
लुका छिपी यह मास-मास का
आस जगता दिल में
चाँद मेरा भी आएगा
एक दिन मुझसे मिलने।