तरसोगे नारी जाति को
तरसोगे नारी जाति को
कहने को नारी की पूजा
होती है इस देश में
लेकिन कितने दानव बैठे
हैं मानव के वेश में
मौत डोलती पल पल सर पे
मुश्क़िल है बेटी का जीना
कौन जानता क्या हो जाये
मिल जाये कब कोई कमीना
महफ़ूज़ नहीं घर बाहर
वहशी हैं दरिंदे सब
पैदा ही न हो पाए
मारे पेट में जब
कौन बचा पाए बेटी को
पेट के अंदर या बाहर हो
दूर नहीं वो दिन जब तुम सब
तरसोगे नारी जाति को।