तर्पन
तर्पन
आए ना याद तेरी उनको
आए नहीं वो जिनका इंतजार था
छोड़ना होगा इस जगह को जिसने बांधे
हुए है
यह गली यह महुल्ला जो सबूत थे
उनका, सब वोही है
बस वो नहीं
इन धूल पड़े पन्नो मैं हम क्या ढूंढते है
कई सपने जो कभी पूढ़े नहीं होंगे
टूटे मकान कैसे बनाए
जो तूने सहेजा था अपने दिल से
इंतजार अभी भी हो रहा है
आयेगा एक दिन जब तेरी कमी उसे महसूस होगी
तब मैंने नहीं बात करना तुझ से
देखना इस तडपन का बदला मैं लूंगा।