STORYMIRROR

Vishal Shukla

Romance

3  

Vishal Shukla

Romance

तक़लीफ़

तक़लीफ़

1 min
140

कद्र नही इंसान की जिसको, दिखाई वहाँ हमने इंसानियत

परवाह नही थी प्यार की जिसको, दे दी वहाँ हमने जन्नत ।

करते रहे प्यार उनसे हर ज़िल्लत बर्दाश्त कर के

दुआओं में मांगा था उनको, उन्ही के लिए मांगी थी मन्नत।


इंतज़ार था बारिश की ख़ुशियों का, उनके साथ आने से

कहाँ पता था गिराएंगे बिजलियाँ ग़म की, मेरे पास जाने से।

करता रहा कोशिशें मैं, गलतफहमियाँ मिटाने की

पर जाती रही दूर वो मुझसे, रोज़ नये बहाने से ।


घनी धूप था उसका जीवन, मैं छाँव देना चाहता था

ख़ुशियाँ सारी, प्यार की बहार लगाना मैं चाहता था।

कैसे जानता कि वो तो नफरत करने लगी थी मेरे नाम से,

पर आज भी उसको चाहता हूँ, कल भी उस ही को

चाहता था।


ना कोस सकता उसको क्यो की किया न था उसने वादा

समझना था तभी मुझको क्या था उसका इरादा।

हमने किये है कई वादे सारे हम निभाएंगे

अंदाज़े बयां प्यार का करेंगे, चाहे वो हो जाये जुदा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance