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Sunita Katyal

Inspirational

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Sunita Katyal

Inspirational

तपती धूप

तपती धूप

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कभी जब मै बीमार होती हूं

कुछ लाचार अशक्त सी

सोचती हूं मैं जैसे तपती धूप। 


मैं चलती एक राहगीर सी हूं

दूर दूर तक कोई छाया नहीं

शायद ऐसे ही चलना पड़ेगा 

मुझे जीवन की शाम होने तक।


तभी मेरा मन मुझे याद दिलाता है

मेरा खुद से किया हुआ वादा

जिंदादिली से जिंदगी जीने का।


और इशारा करता है मेरे

पति और बच्चों की ओर

जो मेरे लिए वट वृक्ष के समान है।


जिन्होंने मुझे छाया के साथ साथ

अपना आसरा भी दिया

तब मेरी जीवन शक्ति में होती है बढ़ोत्तरी

और प्रभु के लिए निकलता है शुक्रिया।


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