तोता पिंजरे से कहता है
तोता पिंजरे से कहता है


तोता कहता है पिंजरे से
क्यों तूने मुझको बंद किया
एक वर्ष से बैठा हूं पिंजरे में
पर तूने नहीं स्वतंत्र किया
जो एक वर्ष है तू ने बंद किया
पंख भी मेरे गए खराब
चलना उड़ना भी बंद हो गया
जीवन हो गया नाकामयाब
ना समय से खाना पानी मिलता
कभी कभी भूखे ही सो लेता हूं
क्या करूं मैं कुछ कर नहीं सकता
बस जी भर के रो लेता हूं
पिंजरे में तोते से बोला
यह सब मेरी गलती है
पर मालिक के सिवा यहां पर
मेरी कुछ नहीं चलती है
तुझे एक वर्ष से मैंने बंद किया
तो यह मेरी मजबूरी है
मैं कभी ना तुझे आजाद करूं
तभी मालिक की इच्छा पूरी है।