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प्रवीन शर्मा

Tragedy

4  

प्रवीन शर्मा

Tragedy

तज गए

तज गए

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हम विनय का हाथ जोड़े देर तक तकते रहे,

लगा अभी कहेँगे, मेरे बच्चे के कितने आंसू बह गए।

रोकता था शोर गुल को, बाबा मेंरे सोये है,

पर दीवाने लोग कहते बाबा हमको तज गए।

मैंने चुप्पी साध ली, पत्थर कलेजा कर लिया,

थामना थे दिल के आँसू, वो उफन कर बह गए।

अभी परसो ही तो कह रहे ज्यादा दूर मत जाया कर,

लेटे है मेरे सामने पर दूर कितना कर गए।

है निराली रस्म कितनी आखरी स्नान की,

गंगाजली के संग कितने जलते आंसू बह गए।

अर्थी बांधी, चार कांधे और चल दिए हम साथ में,

कितने अपने उनके पीछे, बस मुझे ही पराया कर गए।

खरोच मेरी होती थी और दर्द मेरे बाबा को,

दुष्ट हूँ मैं, आग दे दी, जिसमे बाबा जल गए।

घर है उजड़ा जग है सूना और अंधेरा घना,

डर रहा हूँ सहमा हूं कमजोर कितना कर गए।

याद आई बात उनकी, बस पीछे ही हूँ इस पर्दे के,

ये रंगमंच है रंगमंच, सब अपना नाटक कर गए।


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